Mar 21, 2018

21st March World Forestry Day in Hindi

World Forestry Day in Hindi

World Forestry Day  : विश्व वानिकी दिवस हर साल 21 मार्च को मनाया जाता हैं. यह सबसे पहली बार 1971 में मनाया गया था. इसकी शुरुवात भारत में तत्कालीन गृहमंत्री कुलपति कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी ने की थी. यह मनोत्सव भारत में 1950 से मनाया जाना शुरू किया गया. इसको मनाने के पीछे एक ही उद्देश्य था की सभी देश अपने मातृभूमि और अपनी मिटटी की कद्र समझे और इस चीज़ को लेकर जागरूक हो पाए की उनकी मिट्टी, उनके जंगल, उनकी वनसम्पदा कितनी महत्वपूर्ण हैं.

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World Forestry Day  : उनके लिए और वो ही एक कारण हैं जिसकी वजह से वो (मनुष्य) जी भी पा रहे हैं. वरना दिन ब दिन बढती जा रही इस अर्थ (पैसा) के पीछे लगी भीड़ में लोगो के अंदर सच में महत्वपूर्ण चीजों का महत्व समझने की क्षमता कम होती जा रही हैं और वे इस चीज़ को भूलते जा रहे हैं की वानिकी प्रेम, जन्तुओ से प्रेम, आपस में प्रेम इन लालच भरी चीजों से कई बढ़ कर हैं.

World Forestry Day  : जिस पृथ्वी में हम सभी प्राणियों को उस ईश्वर ने जीवन की भेंट प्रदान की हैं तो साथ ही साथ हम सभी को एक जीवन चक्र से जोड़ा गया हैं जिसका अर्थ हैं की यदि अगर किसी भी कारणवश किसी एक तरह के प्राणी का जीवन विलुप्त हो जाए तो ये दुसरे प्राणी के जीवन पर भी उतना ही असर डालता हैं. और उसको भी कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं और ये भी संभव हैं की आगे आने वाले दिनों में उसका खुद का भी जीवन खतरे में पड़ जाए.

World Forestry Day  : उदहारण के लिए जैसे यदि हम मधुमक्खियो को लेते हैं तो आप सोचेंगे भला मधुमक्खियो के विलुप्त हो जाने से हमें किस प्रकार से हानि पहुंचेगी परन्तु हम आपको बता दे की प्रसिद्द वैज्ञानिक आइंस्टीन द्वारा ये कहा गया हैं की जिस भी समय इस पृथ्वी से मधुमक्खियो का अस्तित्व खत्म हो जाएगा उसके करीब 3 वर्ष बाद ही मनुष्य भी विलुप्त होने के कगार पर पहुँच जाएगा और एक और चौकाने वाली बात हम आपको बताते हैं की मधुमक्खियाँ रोज़ सैकड़ो की संख्या में मर रही हैं. जानते हैं क्यूँ मनुष्यों द्वारा.

हम लोग जिन फ़ोनों का आमतौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं ये मधुमक्खियो को उनके घर यानी कि उनके छत्ते तक जाने से रास्ता भटकाते हैं और वे मर जाती हैं.प्रसिद्ध पर्यावरणविद कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी ने कहा था कि -“वृक्षों का अर्थ है जल, जल का अर्थ है रोटी और रोटी ही जीवन है।”

तो आप समझ ही गए होंगे की जिस पर्यावरण में हम रह रहे हैं उसको किसी भी प्रकार से क्षति पहुँचाना खुद के अस्तित्व के साथ खेलने के बराबर हैं.

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